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मन रहता है खिला खिला जैसे गुलनार, मेरे जीवन में आ

मन रहता है खिला खिला जैसे गुलनार,
मेरे जीवन में आ गई है जैसे नई बहार।
जब से तुम आई हो मेरे जीवन के द्वार,
छिड़ गए मोहब्बत की सरगम के तार।

©Amit Singhal "Aseemit"
  #गुलनार