शीर्षक वक्त तरु का
विधा स्वरचित शायरी
बीते वक्त से हार के नये वक्त का इंतजार जारी है
टूटी तरु को नये वक्त का मरहम जो मिलने का आगाज है,
संभव होने जा रहा जो कभी असंभव था,
वक्त एक दौर तरु का भी आने वाला, बरसों से था जो
इंतजार वो करीब जो वो आ रहा है, #Life#Future#Trending#poetrycommunity#indianwriter#tarukikalam25