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मकड़ी के जालों सी उलझी जिंदगी में, क्यों सब कुछ उल

मकड़ी के जालों सी उलझी जिंदगी में,
क्यों सब कुछ उलझा-उलझा लगता हैं,
उलझा था भूत और उलझा हैं वर्तमान,
क्यों उलझन में लगता हैं भविष्य का हाल,
रह रहकर आते हैं ये विचार मुझे बारंबार,
क्या हर बार सुलझने को उलझना जरुरी है,
क्यों जिंदगी लगती अक्सर एक पहेली है,
खामोशी भी दूर शोर में कहीं भटकी हैं,
ढूँढ़ते जब उस तक है पहुँचे थे जब,
फिर नई उलझन के घेरे में थे बंद...।

©Priya Gour
  उफ़ ये उलझी सी जिंदगी...
🖤🖤😒
#nojotowriters 
#17Feb 7:16
priyagour7765

Priya Gour

Gold Star
Super Creator

उफ़ ये उलझी सी जिंदगी... 🖤🖤😒 #nojotowriters #17Feb 7:16 #कविता

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