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भारी बस्ता उतर कमर से पलकों पर आ ठहरा है ! बच्चों

भारी बस्ता उतर कमर से पलकों पर आ ठहरा है !
बच्चों के तन-मन पर देखो रेडिएशन का पहरा है !!
किसको अपना दर्द बताएं ज़ख्म बहुत ही गहरा है !
जब अपना हाकिम ही यारो, शायद अंधा-बहरा है !!

मज़दूरों के बच्चे भी क्या सच में ही यूं पढ़ लेंगे ?
क्या ये सारे छः-छः घण्टे, रेडिएशन से लड़ लेंगे ?
क्या इनकी नन्ही आँखों को है कोई वरदान मिला ?
तो फिर इन मासूमों को, क्यों ऐसा फ़रमान मिला ?

मैं ही बतला देता हूँ, ग़र अपना हाकिम है अंजान !
रेडिएशन से तिल-तिलकर मरता है आख़िर इंसान !!
इसी वजह से गोरैया नें अब घर-आँगन छोड़ दिया !
तितली-कीट-पतंगों नें भी हमसे नाता तोड़ दिया !!

सोचो आख़िर किस क़ीमत पर हम ये शिक्षा पायेंगे ?
अपनी आँखों के तारों को जानें कितने रोग लगायेंगे ?
अनिद्रा अवसाद-जनक है ब्रेन-ट्यूमर कैंसर-कारक है!
रेडिएशन तनाव, बदन-दर्द व नेत्र-रोग उत्पादक है !!

प्रतिरक्षा प्रणाली को दरअसल ये कमज़ोर बनाता है !
इसीलिए इंसान अनेकों रोगों का घर बन जाता है !!
कोरोना के कहर में तो ये घातक भी हो सकता है !
इसकी जद में बच्चा अपनी इम्यूनिटी खो सकता है!!

इससे अच्छा है बच्चों तक पुस्तकें पहुंचाई जायें !
और जल्दी से ये ऑनलाइन शिक्षा रुकवाई जायें !!
वरना इसके दुष्परिणामों को झेल नहीं पायेंगे हम !
अपने ही बच्चों के संग में खेल नहीं पायेंगे हम !!

वैसे भी ये शिक्षा, साधन-सम्पन्नों तक सीमित है !
ये भी देखों आख़िर इसकी कितनी ऊंची क़ीमत है !!
वरना, बहुतों के सपनें तो, अश्क़ों में बह जायेंगे !
साधनहीन तो इस शिक्षा से वंचित ही रह जाएँगे !!

©पूर्वार्थ
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