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माना की नजरों से दूर हो , दिल में फिर भी तुम हो,

माना की नजरों से दूर हो , दिल में फिर भी तुम हो,
 अल्फाज भी बहुत खास हैं मेरे ,क्योंकि मेरी हर शायरी में तुम हो।

प्यार क्या होता है इससे अनजान हूं मैं,
फिर भी तुम्हारे टूटे दिल को जोड़ने के लिए तैयार हूं मैं।
वो बात पुरानी थी , वो याद पुरानी थी,
उससे भूल कर अगर तुम दिल जोड़ना चाहो तो आज भी वैसे हीं तैयार हूं मैं।

माना कि नजरों से दूर हो,  दिल में फिर भी तुम हो
 अल्फाज भी बहुत खास हैं मेरे ,क्योंकि मेरी हर शायरी में तुम हो।

ये जो हमारी रिश्ते में फासले हैं,वो हर फैसले मिटाना चाहती हूं मैं,
जो तकलीफ तुझे मेरे बातों से हुई ,वो हर तकलीफें मिटाना चाहती हूं मैं,
एक मौका तो देकर देखो , तुम्हारी हर सिकायतें दूर करने को आज भी तैयार हूं मैं।

माना कि नजरों से दूर हो,दिल में फिर भी तुम हो,
अल्फाज भी बहुत खास हैं मेरे,क्योंकि मेरी हर शायरी में तुम हो।

©Pushpanjali
  meri har shayari me tum ho..