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जिंदगी बेजान सी लग रही है, वक्त की लेकर लुकाछिपी अ

जिंदगी बेजान सी लग रही है, वक्त की लेकर लुकाछिपी अनजान शहर में गुजर रही है!
हमने जीने के तरीकों के लिए, ममता का आंचल छोड़ा!
 बनाने चले जिंदगी , तो इसके लिए मां का काजल छोड़ा!
 मां के हथेली में, दुनिया का हर सुख नजर आता है !
जब भी देखता हूं तस्वीर मां की, तो अपना वह कल नजर आता है!
 गुजारा था वह लम्हा, मां के साए से लिपटकर!
 प्यारा था वह लम्हा, हर साए से बढ़कर !
पत्थर हो या पहाड़, हमें उनसे लड़ना है!
उन सपनो के खातिर, हमें पत्थरों को भी चूर चूर करना !
जिंदगी मुकाम देगी, उसी खुसी को त्याग कर!
 हमें खुशी मिलेगी, मां के सपनों को पूरा कर!
हमे खुसी मिलेगी मा के सपनों को पूरा कर!!
        - सूरज कुमार ख्वाबों का शहर......
जिंदगी बेजान सी लग रही है, वक्त की लेकर लुकाछिपी अनजान शहर में गुजर रही है!
हमने जीने के तरीकों के लिए, ममता का आंचल छोड़ा!
 बनाने चले जिंदगी , तो इसके लिए मां का काजल छोड़ा!
 मां के हथेली में, दुनिया का हर सुख नजर आता है !
जब भी देखता हूं तस्वीर मां की, तो अपना वह कल नजर आता है!
 गुजारा था वह लम्हा, मां के साए से लिपटकर!
 प्यारा था वह लम्हा, हर साए से बढ़कर !
पत्थर हो या पहाड़, हमें उनसे लड़ना है!
उन सपनो के खातिर, हमें पत्थरों को भी चूर चूर करना !
जिंदगी मुकाम देगी, उसी खुसी को त्याग कर!
 हमें खुशी मिलेगी, मां के सपनों को पूरा कर!
हमे खुसी मिलेगी मा के सपनों को पूरा कर!!
        - सूरज कुमार ख्वाबों का शहर......
surajgarg4664

Suraj kumar

New Creator

ख्वाबों का शहर...... #कविता