#हिन्दी काव्य कोष # tmkosh. प्रकृति शक्ति सौम्य रूपा । बड़ी पावन लगे धरती विधाता ने बनाई है कहीँ पर इद की खुशियां कहीँ बाजे बधाई है सभी अपने यहाँ पर हैं खजाना ही खजाना है - सुहानी रात आई है सितारे साथ लाई है । धरा धानी हुई देखो चमन में फूल खिलतें हैं हिमालय दे रहा पहरा सभी इस देश पर मरते है चलें हैं हल यहाँ देखो बजे बैलों की घंटी है - करें नदियाँ यहाँ कल-कल यहाँ झरने भी झरते हैं। अनीता मिश्रा सिद्धि । स्वरचित मौलिक । प्रकृति सौम्य रूपा