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anitamishra6550
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Anita Mishra

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Anita Mishra

जिसको मन  का मीत बनाया , सेंधउसने  ही लगवाया।
 मन  बेचारा सीधा ठहरा ,खुद को ही अब  समझाया।।

रिमझिम रिमझिम पड़े फुहारें
पपीहा पिऊ पिऊ  है उचारे 
 जलती -बुझती विरह में विरहन 
सूना सूना  घर का आंगन
अब तो आओ सावन आया ,बादल से पाती 
 भिजवाया।
मन बेचारा--

मेहंदी मेरे हाथ की  फीकी
सुने दिन और रातें रीति
तकिए ने सब राज हैं  खोले
सखियाँ  सारी बोल है बोले 
 
नेह का कैसा रोग लगाया , किस जोगी पर ये दिल आया 
मन  बेचारा--।

चमके बिजुरी जिया है कांपे
बैरी चंदा  गगन से ताके 
आंखे  मुंडू  सपने तेरे 
 डाले है यादों ने  डेरे 
राह में आँचल को बिछाया, काहे को इतना तरसाया 
मन बेचारा  ---।

©Anita Mishra जिसको मन का मीत बनाया

#bestfrnds

जिसको मन का मीत बनाया #bestfrnds #कविता

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Anita Mishra

मुझे जानकर क्या करोगे ,
खुशबू  हूँ रूह में उतर जाऊँगी ।

दूर से  देखना  छूना नहीं,
ओस की मानिंद बिखर जाऊँगी ।।

एक लम्हे को कैद कर रखा है ,
जब कहोगे आँखों में सँवर जाऊँगी ।।

मुद्दतों  दिल को जलाया  है ,
हो इश्क़ की बारिश तो निखर जाऊँगी।।

ख्वाहिशें  उड़ान  भरने लगीं ,
अब तुम्हें छोड़ कर किधर जाऊँगी ।।

अनीता सिद्धि , पटना बिहार । 21 / 12 /2020.

©Anita Mishra मुझे जानकर क्या करोगे

मुझे जानकर क्या करोगे #शायरी

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Anita Mishra

# हिंदी - काव्य- कोष #tmkosh।

बंदी जीवन भी क्या जीवन ।


बन्दी  जीवन  नहीं  सुहाता ,सहते  कष्ट  अपार।
विरह - वेदना  से  मन घायल ,क्या जाने संसार।।
बैठ  अकेले  मन  घुटता  है ,कटे  नहीं दिन रैन।
छप्पन  व्यंजन  पास  रखें  हैं ,नहीं  देखते  नैन।।

रोज  देखते  नैन  उठाये,नील - गगन  आकाश।
तोड़  जगत  के  सारे बन्धन , आना चाहूँ पास।।
घुट-घुट कर हम विष पीतें हैं,घुटते हैं दिन रात।
अपने  सारे  दूर  हुए  अब ,किसे  सुनाऊँ बात।।

बन्दी  से तो मौत भली है , आ जाओ हे! राम।
पल  भर  में  सन्ताप मिटे ,मिल जाए आराम।।

अनीता मिश्रा सिद्धि ।
स्वरचित मौलिक बंदी जीवन भी क्या जीवन है

बंदी जीवन भी क्या जीवन है #tmkosh

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Anita Mishra

# हिंदी - काव्य- कोष #tmkosh।

बंदी जीवन भी क्या जीवन ।


बन्दी  जीवन  नहीं  सुहाता ,सहते  कष्ट  अपार।
विरह - वेदना  से  मन घायल ,क्या जाने संसार।।
बैठ  अकेले  मन  घुटता  है ,कटे  नहीं दिन रैन।
छप्पन  व्यंजन  पास  रखें  हैं ,नहीं  देखते  नैन।।

रोज  देखते  नैन  उठाये,नील - गगन  आकाश।
तोड़  जगत  के  सारे बन्धन , आना चाहूँ पास।।
घुट-घुट कर हम विष पीतें हैं,घुटते हैं दिन रात।
अपने  सारे  दूर  हुए  अब ,किसे  सुनाऊँ बात।।

बन्दी  से तो मौत भली है , आ जाओ हे! राम।
पल  भर  में  सन्ताप मिटे ,मिल जाए आराम।।

अनीता मिश्रा सिद्धि ।
स्वरचित मौलिक
गाजियाबाद।
28/4/2020. बंदी जीवन भी क्या जीवन है।

बंदी जीवन भी क्या जीवन है। #tmkosh

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Anita Mishra

#हिन्दी काव्य कोष # tmkosh.

प्रकृति शक्ति सौम्य रूपा ।

बड़ी पावन लगे धरती विधाता ने बनाई है 
कहीँ पर इद की खुशियां कहीँ बाजे बधाई है 
सभी अपने यहाँ पर हैं खजाना ही खजाना है -
सुहानी रात आई है सितारे साथ लाई है ।

धरा धानी हुई देखो चमन में फूल खिलतें   हैं 
हिमालय दे रहा पहरा सभी इस देश पर मरते है 
चलें हैं हल यहाँ देखो बजे बैलों की घंटी है - 
करें नदियाँ यहाँ कल-कल यहाँ झरने भी झरते हैं।

अनीता मिश्रा सिद्धि ।
स्वरचित मौलिक । प्रकृति सौम्य रूपा

प्रकृति सौम्य रूपा #हिन्दी

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Anita Mishra

#हिन्दी काव्य कोष # tmkosh.

प्रकृति शक्ति सौम्य रूपा ।

बड़ी पावन लगे धरती विधाता ने बनाई है 
कहीँ पर इद की खुशियां कहीँ बाजे बधाई है 
सभी अपने यहाँ पर हैं खजाना ही खजाना है- 
सुहानी रात आई है सितारे साथ लाई है ।

धरा धानी हुई देखो चमन में फूल खिलतें हैं 
हिमालय दे रहा पहरा सभी इस देश पर मरते  हैं
कभी करते नहीँ अनबन सभी मिलकर यहाँ रहते 
चलें हैं हल यहाँ देखो बजे बैलों की घंटी है - 
करें नदियाँ यहाँ कल-कल यहाँ झरने भी झरते हैं।

अनीता मिश्रा सिद्धि ।
स्वरचित मौलिक । प्रकृति सौम्य रूपा

प्रकृति सौम्य रूपा #कविता #हिन्दी

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Anita Mishra

खूब अपनापन जताया देर तक।

खूब अपनापन जताया देर तक। #शायरी

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Anita Mishra

आज अपने पराए हुयें हैं।

आज अपने पराए हुयें हैं। #शायरी

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Anita Mishra

आज अपने पराये हुए हैं।

आज अपने पराये हुए हैं। #शायरी

27 Views

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Anita Mishra

अब तलक नींद की खुमारी है।
याद में आपके गुजारी है।।

जिन्दगीं आज क्यों खफ़ा हमसे ,
हार में जीत भी तुम्हारी है।।

मौत भी लौट जायेगी आकर,
पास माँ की दुआ ये सारी है ।।

आज डरते नही  किसी से भी ,
मौत से हो गई "अब  यारी है।

प्यार  सस्ता हुआ जमाने में,
हाय कैसी यहां लाचारी है।।

खोखले हो गए सभी रिश्तें 
आदमी बन गया भिखारी है।
नाच देखो यहां नचाता है ,
आज पैसा बना मदारी है।।


अनीता सिद्धि। पैसा बना मदारी है।

पैसा बना मदारी है।

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