#ग़ज़लغزل: १६० ----------------- दिल में तो जज़्बा नहीं छोड़ा मुहब्बत के लिए आदमी अब गोलियां लेता है शहवत के लिए //१ तल्ख़ हो हर चीज़ थोड़ी, चटपटी, नमकीन भी ख़र्च करता है वो पैसे ख़ूँ में हिद्दत के लिए //२ मर्द बस इज़्ज़त नहीं करता है औरत ज़ात की जब कि उसका जीना मरना सब है औरत के लिए //३ बंद है बाज़ार, दारू भी नहीं मिलती कहीं करना पड़ता है क़वायद अब तो शर्बत के लिए //४ बाद में हो जाती हैं गुर्दे की दस बीमारियाँ लोग पीते हैं शुरू में शानो शौक़त के लिए //५ आदमी ही लालची है, क्यों न औरंगज़ेब हो भाई को भी मार देता है वसीयत के लिए। //६ हमको इक लैला ही दे दो ऐ ख़ुदा गर दे सको चाहिए दैरो हरम किसको इबादत के लिए //७ 'राज़' जब छूने गए तो गिर गए गश खा के हम कुछ हसीं चेहरे बने हैं सिर्फ़ चाहत के लिए //८ #राज़_नवादवी© راز نوادوی 🆁🅰🆉 🅽🅰🆆🅰🅳🆆🅸 #sunlight