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कभी ख़्वाब में कभी राग में, कभी याद में खो जाते है

कभी ख़्वाब में कभी राग में, कभी याद में खो जाते हैं।
कभी दर्द को  छुपा सभी से, बिना अश्रु ही रो जाते हैं।
सारे   यत्न   हुए हैं   निष्फल   यादें   यार  मिटाने   में,
फिर  भी  तन्हा   यादों में  ही, रोते - रोते  सो जाते हैं।
अरुण शुक्लअर्जुन 
प्रयागराज
(पूर्णत: मौलिक स्वरचित एवं सर्वाधिकार सुरक्षित)

©अरुण शुक्ल अर्जुन
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