शीर्षक-तुम आ जाना जब नींद आ जाये आंखों में मेरे तुम भी आ जाना बनके सपना जब कभी रेत सा जलूँ मैं तुम बूंदो सी बरसना जब घाव जिस्म को छलनी करे तो तुम मरहम सा लिपटना जब मंजिल दिखे ना राह की डगर पर तुम संग चलना जब सर्द राते सताने लगी तो तुम चादर बनकर लिपटना जब कोई सुने ना मेरी तुम मेरा लिखा कुछ सुन लेना जब लूट जाए सब कुछ मेरा तुम खुद को बांकी रखना जब कभी बिखरने लगूँ तो बाहों में मुझको समेट लेना जब मैं रहूँ ना तुम मेरी यादों के संग रह लेना-अभिषेक राजहंस तुम आ जाना