याद आयेगा बहुत मुझे, वो हम सब का रातों में मिलना। कोई विषय बस छिड़ जाए, बातों-बातों में मीलों चलना। कभी किसी पर व्यंग वो कसना, हम सबका फिर मिल कर हंसना। कभी कोई जीवन से तंग हो, कहीं किसी का प्रेम प्रसंग हो। किसी का होता टूटा सपना, दुखड़ा सबका अपना-अपना। होती जैसी भी मुश्किल थी, बैठक पर जमती महफिल थी। सब देते थे जब अपनी राय, मिल जाता था उत्तम उपाय। मोटरसाइकिल एक, तीन हम, हो सवार बस निकल था जाना। जिसकी देखो यही राय थी, सबसे अच्छा शंकर का खाना। सच बोलूं तो मुझे है अब, इन सब बातों का बहुत ही खलना। याद आयेगा बहुत मुझे, वो हम सबका रातों में मिलना। #आशुतोष मिश्रा ©Ashutosh MISHRA ggg #friends