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ख़िलाफ़त-ए-मोहब्बत बस इतनी सी थी तुझे अपना कर न सके

ख़िलाफ़त-ए-मोहब्बत बस इतनी सी थी
तुझे अपना कर न सके ....खुद को तेरा बना न सके ।
मज़बूरी-ए-ज़िन्दगी तेरी
ज़िन्दगी से बढ़ के चाहने की सज़ा मेरी..
समझा तो बहुत तुझे नाउम्मीदी तुझे कुछ समझा न सके ।
Kp ख़िलाफ़त-ए-इश्क़ arunendra
ख़िलाफ़त-ए-मोहब्बत बस इतनी सी थी
तुझे अपना कर न सके ....खुद को तेरा बना न सके ।
मज़बूरी-ए-ज़िन्दगी तेरी
ज़िन्दगी से बढ़ के चाहने की सज़ा मेरी..
समझा तो बहुत तुझे नाउम्मीदी तुझे कुछ समझा न सके ।
Kp ख़िलाफ़त-ए-इश्क़ arunendra

ख़िलाफ़त-ए-इश्क़ @arunendra #शायरी