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मनुष्य, मनुष्य सदैव विश्वास करता है ऊपर उठने में ऊ

मनुष्य, मनुष्य सदैव विश्वास करता है ऊपर उठने में ऊंचा और ऊंचा उठने में किंतु वास्तविकता तो ये है कि जब तक शिखर को स्पर्श नहीं करोगे, ऊपर उठने में आनंद नहीं आएगा। अब देखिए ये वर्षा, वर्षा जब आकाश से गिरती है तब धरती भी इसका स्वागत करती है क्योंकि वर्षा गिरती है धरती की प्यास बुझाने के लिए वर्षा आती है तो वन उपवन झूम उठते हैं। मोर पपीह नाचते हैं, गाते हैं, इसलिए नहीं की वर्षा गिरी इसलिए की वर्षा उस भाव से गिरी। अब उसी स्थान पे यदि आकाश से कड़कती हुई बिजली धरती पर गिरे तो ये प्रकृति भयभीत हो जाती हैं। अर्थात ये भाव अत्यंत महत्वपूर्ण है। सर्वप्रथम इस भाव को देखिएगा और यदि इस भाव में सृजन है तो समझ लीजिए, सब कुछ शुभ ही होगा।

राधे राधे

©Karan Mehra #krishnvani
मनुष्य, मनुष्य सदैव विश्वास करता है ऊपर उठने में ऊंचा और ऊंचा उठने में किंतु वास्तविकता तो ये है कि जब तक शिखर को स्पर्श नहीं करोगे, ऊपर उठने में आनंद नहीं आएगा। अब देखिए ये वर्षा, वर्षा जब आकाश से गिरती है तब धरती भी इसका स्वागत करती है क्योंकि वर्षा गिरती है धरती की प्यास बुझाने के लिए वर्षा आती है तो वन उपवन झूम उठते हैं। मोर पपीह नाचते हैं, गाते हैं, इसलिए नहीं की वर्षा गिरी इसलिए की वर्षा उस भाव से गिरी। अब उसी स्थान पे यदि आकाश से कड़कती हुई बिजली धरती पर गिरे तो ये प्रकृति भयभीत हो जाती हैं। अर्थात ये भाव अत्यंत महत्वपूर्ण है। सर्वप्रथम इस भाव को देखिएगा और यदि इस भाव में सृजन है तो समझ लीजिए, सब कुछ शुभ ही होगा।

राधे राधे

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Karan Mehra

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