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सूखा पेड़ हूँ मैं, बस यों ही खड़ा रहूँगा, बूढ़ा हो

सूखा पेड़ हूँ मैं, बस यों ही खड़ा रहूँगा,
बूढ़ा हो गया हूँ,पर छाया तो देता रहूँगा,
तुम मुझे काटो चाहे कितने ही कष्ट दो,
तुम्हारी ज़रूरतें तो पूरी करता ही रहूँगा।

        (अनुर्शीषक में पढ़ें)



 सूखा पेड़ हूँ मैं, बस यों ही खड़ा रहूँगा,
बूढ़ा हो गया हूँ,पर छाया तो देता रहूँगा,
तुम मुझे काटो चाहे कितने ही कष्ट दो,
तुम्हारी ज़रूरतें तो पूरी करता ही रहूँगा।

बारिश,गर्मी,सर्दी,आँधी,तूफान झेल लूँगा,
मगर तुम्हारा बाल भी बाँका न होने दूँगा,
तुम्हारे हर सुख दुख का भी साथी बनूँगा,
सूखा पेड़ हूँ मैं, बस यों ही खड़ा रहूँगा,
बूढ़ा हो गया हूँ,पर छाया तो देता रहूँगा,
तुम मुझे काटो चाहे कितने ही कष्ट दो,
तुम्हारी ज़रूरतें तो पूरी करता ही रहूँगा।

        (अनुर्शीषक में पढ़ें)



 सूखा पेड़ हूँ मैं, बस यों ही खड़ा रहूँगा,
बूढ़ा हो गया हूँ,पर छाया तो देता रहूँगा,
तुम मुझे काटो चाहे कितने ही कष्ट दो,
तुम्हारी ज़रूरतें तो पूरी करता ही रहूँगा।

बारिश,गर्मी,सर्दी,आँधी,तूफान झेल लूँगा,
मगर तुम्हारा बाल भी बाँका न होने दूँगा,
तुम्हारे हर सुख दुख का भी साथी बनूँगा,
juhigrover8717

Juhi Grover

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