Nojoto: Largest Storytelling Platform

आज बाहर कुछ क्षण के लिए भ्रमण किया तो एक घर से आवा

आज बाहर कुछ क्षण के लिए भ्रमण किया तो एक घर से आवाज़ आई 
" दुर्गम काज जगत के जेते‌ ।
 सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।। "
जो एक दादी थी,
और यही पंक्तियां उनका पोता दोहरा रहा 
मेरे मन में प्रसन्नता हुई और समस्त समस्याएं भूल कर एक भीनी सी मुस्कुराहट चेहरे पर आ गई ।

जैसे वह दादी जब समाज में संस्कृति की हानि हो रही है वह उस पोते में बीज डाल रहीं हैं संस्कृति का...... #अनुभूति
#अनुभव
#उदाहरण
#संस्कृति
#संरक्षण
आज बाहर कुछ क्षण के लिए भ्रमण किया तो एक घर से आवाज़ आई 
" दुर्गम काज जगत के जेते‌ ।
 सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।। "
जो एक दादी थी,
और यही पंक्तियां उनका पोता दोहरा रहा 
मेरे मन में प्रसन्नता हुई और समस्त समस्याएं भूल कर एक भीनी सी मुस्कुराहट चेहरे पर आ गई ।

जैसे वह दादी जब समाज में संस्कृति की हानि हो रही है वह उस पोते में बीज डाल रहीं हैं संस्कृति का...... #अनुभूति
#अनुभव
#उदाहरण
#संस्कृति
#संरक्षण