अब वो पहले जैसी सुबह नहीं होती गौरैयों की वो चहचहाहट अब सूनाई नहीं देती। कहने को यूं सफलता की ओर बढ़ रहे हम पर विकास के नाम पे विनाश कर रहे हम । पेड़ काट कर घोसलें इनके तोड़ दिए हमने छीन कर आशियाना इनका,घर अपने जोड़ लिए हमने। इंसानों की भीड़ में कही दब गई है इनकी आवाज फिर भी न जाने कब आएंगे हम अपनी हरक़तों से बाज? प्रकृति पे हक तो इनका भी है जितना हमारा है छीन लेना जीवन इनका क्या कहीं से भी गवांरा है? चलो आज एक संकल्प ले कि हम गौरेया बचाएंगे फिर एक बार आंगन अपना इनकी आवाज से चहकाएंगे। #WorldSparrowDay #20March2023 ©सिंह एक शायर birds#सिंह