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आईने के साथ कैसी चल रही है ग़ुफ़्तगू, मुख़्

आईने  के  साथ  कैसी  चल  रही  है ग़ुफ़्तगू, 
मुख़्तसर सी बात पर दिल कह रहा है तू ही तू,

बेवज़ह ही इश्क में रुसवा हुए हम भी यहाँ, 
और शोहरत हो गई उसकी उधर भी कू-ब-कू, 

रह गई ख़्वाहिश अधूरी सिर्फ इतनी बात से,
कभी फुर्सत में ही मिल लेते भला वो रूबरू, 

घूमता रहता है मन बादल के जैसा रात-दिन, 
टेरता है तान कोयल सा कभी वो कुहू कुहू,

ख़्वाब बुनता चाँद तारों की भले मुमकिन न हो,
क्या ही जाएगा अगर हमने भी कर ली ज़ुस्तज़ू, 

सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ते रहो 'गुंजन' सदा,
पूर्ण  होते  हुए  देखी  है  बहुत  की  आरज़ू, 
   --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #हमने भी कर ली जुस्तजू#
आईने  के  साथ  कैसी  चल  रही  है ग़ुफ़्तगू, 
मुख़्तसर सी बात पर दिल कह रहा है तू ही तू,

बेवज़ह ही इश्क में रुसवा हुए हम भी यहाँ, 
और शोहरत हो गई उसकी उधर भी कू-ब-कू, 

रह गई ख़्वाहिश अधूरी सिर्फ इतनी बात से,
कभी फुर्सत में ही मिल लेते भला वो रूबरू, 

घूमता रहता है मन बादल के जैसा रात-दिन, 
टेरता है तान कोयल सा कभी वो कुहू कुहू,

ख़्वाब बुनता चाँद तारों की भले मुमकिन न हो,
क्या ही जाएगा अगर हमने भी कर ली ज़ुस्तज़ू, 

सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ते रहो 'गुंजन' सदा,
पूर्ण  होते  हुए  देखी  है  बहुत  की  आरज़ू, 
   --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #हमने भी कर ली जुस्तजू#

#हमने भी कर ली जुस्तजू# #कविता