मेरे घर की छत के, पश्चिम उत्तर वाले कोने में। वर्षों से। किसी ईंट के नीचे वहीं कहीं तुम्हारी यादें वहीं दबी पड़ी है। तुम्हारा तोहफे में दिया दिल, मेरे कमरे के पंखे से झूल गया था। देखना मोहब्बत मर तो गई न। वो तेरे अलते से रंगे पांव के निशान, देहरी से मिटे के नहीं। तेरे जाने के बाद जोर से बरसात हुई थी।। पता है,मुझे पता था तुम लौट आओगे। कोई मुझसा न चाहेगा तुम्हे। मतलब से लौटे हो,या समझ गए हो मुझे।। निर्भय चौहान। #waiting #शायरी #Shayari #Love #Nojoto#Poetry #Poet #writer #Nojoto_Films