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हिमगिरी से उतरी उत्कल गंगा। धरा की आन तिरंगा,वीरो

हिमगिरी से उतरी उत्कल गंगा।
धरा की आन तिरंगा,वीरो की शान तिरंगा।
हिन्द जनो की -2 जान तिरंगा।
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चहूं ओर शिव धाम बसे है।
सिय संग श्रीराम बसे है ।
यमुना के तट पर रास रचाते-2,
राधे-रमन घनश्याम बसे है।
किस में है -2 जो ले तो से पंगा ।
धरा की आन तिरंगा ।
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उत्तर दिशा में गिरिराज है साजे ।
दखण दिशा में सिंधुराज विराजे ।
षडॠतुए तेरी आरती उतारे,
दशोदिशा में तेरी नौपत वाजे ।
तेरे ही खातिर-2 करते है दंगा ।
धरा की आन तिरंगा।
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सीमा पर जो लाल खङे है ।
अंतिम क्षण तक अरि से अङे।
मुण्ड विहीन रुण्ड लङने लगे तो,
बैरि जान के लाले पङे है ।
तेरी रक्षा में -2 करते जंगा।
धरा की आन तिरंगा ।

©Anand Ji Mayura Ji
  आनंद के रंग

आनंद के रंग #शायरी

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