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रोज़ "खाने" को "बैठता" हूं तो मुझे एक बात "सताती"

रोज़ "खाने" को "बैठता" हूं तो मुझे एक बात "सताती" है,
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ये दो "रोटियाँ" मुझे "कैसे" दिन-रात "भगाती" हैं..!

©Andy Mann
  #हकीकत_ए_जिंदगी