तेज़ चलती हवाएँ, हिलते पेड़, बंद कमरे में आपस में टकराती हुई खिड़कियाँ.. और बार-बार शांत होकर ... फ़िर जोर से उन तेज़ झोंको का वापिस आ जाना... पर अगली सुबह सूरज का बड़े प्यार से उन पौधों को अपनी तीखी धूप से प्यार से सेहलाना... ऐसा लगता हैं मानो दुःखों का इंसान के जीवन में बार बार आकर चले जाना ....और अगले ही कुछ पलों में या दिनों में ... भगवान का खुशियों का एक बड़ा झोला भरकर घर के दरवाजे़ पर रखकर चले जाना... हाँ !!! बस उन्हीं दिनों का इंतेजार हैं मुझे.... -@bp_ambitious ©Bharti Prajapat हाँ!! बस उन्हीं दिनों का इंतेजार हैं मुझे... Written by- Bharti Prajapat -9:28 Pm (17/05/2021). . Instagram- @bp_ambitious