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वंदौ गुरु पद पदुम परागा। सुरुचि सुबास सरस अनुरगा

 वंदौ गुरु पद पदुम  परागा। सुरुचि सुबास सरस अनुरगा 
।।
।।सीता राम चरित अति पावन। मधुर सरस अरु अति

 मनभावन।।
पुनि पुनि चितये ही सुनये सुनाये। हिय की प्यास बुझत न बुझाये।।
सिया राम मय सब जग जानि। करहु प्रणाम जोरी जुग पाणी।।
दीन दयाल बिरद सम्भारी। हरहु नाथ मम संकट भारी।।

सुमिरु पवनसुत पावन नामू। अपनी वश करी राखै रामु।।

©नागेंद्र किशोर सिंह
  # वंदना