मुझे याद रहता है हर वो शब्द जो मैंने कभी तुम्हारें लिए रचा, मुझे याद रहती है हर वो बात जो कभी तुमने मेरे लिए कहीं, फिर क्यों भूल जाता हूँ मैं .... तुम्हारी बेरुखी, तुम्हारी उपेक्षाएं तुम्हारा बदल जाना समय के साथ, मुझे तुम याद रहते हो तुम्हारे लहजें याद रहते है फिर ! तुम कब कैसे भूल जातें हो मैं कौन हूँ ... ? बस ! अब तक मैं इतना ही तो नही समझ पाया हूँ, तुम्हारें चहेरे की आकृति और लफ़्जों का वो अप्रकट भाव जो मुझे दिखाई देने लगता है .... वो कानों से सुने गए तुम्हारे हरशब्द को झुठला देता है, मैंने खुद से ये अब मान लिया है की तुम जो कह गए हो ... वो कहने के लिए विवश हो, याद रहता है मुझे, तुम कुछ और कहने वाले थे तुम कुछ और कह रहे थे ।। #ख़ैर ©पूर्वार्थ #dilkibaat