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ये सर्द सुनहरी सुबह है, और तुम उगते सूर्य की मुस्क

ये सर्द सुनहरी सुबह है, और तुम उगते सूर्य की मुस्कान प्रिय
नरमी नरमी कोमल सी
जैसे मखमल की खान प्रिय
जिसके आहट से रोंगटे खड़े हो जाए
उस हवा की तुम चाल प्रिय
धेर्या की बांध टूटी जाए
इतनी लगी मिलन की प्यास प्रिय
ये सर्द सुनहरी सुबह है 
और तुम उगते सूर्य की मुस्कान प्रिय 🐦Awaaz-e-shayari (Imran Hussain)   Dr.Imran Hassan Barbhuiya Suman Zaniyan
ये सर्द सुनहरी सुबह है, और तुम उगते सूर्य की मुस्कान प्रिय
नरमी नरमी कोमल सी
जैसे मखमल की खान प्रिय
जिसके आहट से रोंगटे खड़े हो जाए
उस हवा की तुम चाल प्रिय
धेर्या की बांध टूटी जाए
इतनी लगी मिलन की प्यास प्रिय
ये सर्द सुनहरी सुबह है 
और तुम उगते सूर्य की मुस्कान प्रिय 🐦Awaaz-e-shayari (Imran Hussain)   Dr.Imran Hassan Barbhuiya Suman Zaniyan