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ukaman1363868638097
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Um€Sh Kum@r

मुस्कुराते रहिये जनाब, बिना गम की कोई व्यक्ति नहीं है 😍😄

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Um€Sh Kum@r

sunset nature जैस्मिदीद खुद हु मै अपने बर्बादी का
किसी सें कोई शिकवा नहीं है।
नादान हु मै
जाजवाती हु दिल का
वरना मजाल किस का है
दिल सें खेल जाने का।✍🏻

©Um€Sh Kum@r
  #sunsetnature #viral
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Um€Sh Kum@r

मुद्दोंतो बाद लिखने का दिल किया है
लिख कर खुद को तसल्ली दिया है
लोग उड़ा लेते है मजाक
मेरी लिखावट का
पर क्या जाने वो बेखबर 
मैंने दिल की जज्बात लिख दिया है।

©Um€Sh Kum@r
  #UKAMANORG
#India
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Um€Sh Kum@r

किसी पर निर्भर रहना छोड़ ही
दो तो बेहतर होगा।
क्योकि
आजकल लोग मौका ढूंढ़ते है अपनों
को गिराने के लिए।।

©Um€Sh Kum@r #teatime
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Um€Sh Kum@r

लोग क्या कहेंगे, ये सोच कर
कितनो का घर बसने सें
पहले उजर जातें है।✍🏻

©Um€Sh Kum@r
  #lightning
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Um€Sh Kum@r

खुद को निष्ककलंक बनाने की कोशिश में ।
एक बेहतर कल की वली दी है मैंने।।✍🏻

©Um€Sh Kum@r
  #lightning
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Um€Sh Kum@r

भूलना सीखो अपने गुजरे कल को
कोई लौट के
नहीं आता एक बार जाने के वाद।

©Um€Sh Kum@r #sadak
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Um€Sh Kum@r

ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं,है अपनी ये तो रीत नहीं
है अपना ये व्यवहार नहीं

धरा ठिठुरती है सर्दी से
आकाश में कोहरा गहरा है,बाग़ बाज़ारों की सरहद पर
सर्द हवा का पहरा है
सूना है प्रकृति का आँगन
कुछ रंग नहीं , उमंग नहीं,हर कोई है घर में दुबका हुआ
नव वर्ष का ये कोई ढंग नहीं

चंद मास अभी इंतज़ार करो
निज मन में तनिक विचार करो,नये साल नया कुछ हो तो सही
क्यों नक़ल में सारी अक्ल बही

उल्लास मंद है जन -मन का
आयी है अभी बहार नहीं,ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं

ये धुंध कुहासा छंटने दो
रातों का राज्य सिमटने दो,प्रकृति का रूप निखरने दो
फागुन का रंग बिखरने दो

प्रकृति दुल्हन का रूप धारा 
जब स्नेह – सुधा बरसायेगी,शस्य – श्यामला धरती माता

घर -घर खुशहाली लायेगी
तब चैत्र शुक्ल की प्रथम तिथि
नव वर्ष मनाया जायेगा
आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर,जय गान सुनाया जायेगा

ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं,है अपनी ये तो रीत नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं

©Um€Sh Kum@r #CrescentMoon #Hindi #India
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Um€Sh Kum@r

ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं,है अपनी ये तो रीत नहीं
है अपना ये व्यवहार नहीं

धरा ठिठुरती है सर्दी से
आकाश में कोहरा गहरा है,बाग़ बाज़ारों की सरहद पर
सर्द हवा का पहरा है

सूना है प्रकृति का आँगन
कुछ रंग नहीं , उमंग नहीं,हर कोई है घर में दुबका हुआ
नव वर्ष का ये कोई ढंग नहीं

चंद मास अभी इंतज़ार करो,
निज मन में तनिक विचार करो,नये साल नया कुछ हो तो सही
क्यों नक़ल में सारी अक्ल बही

उल्लास मंद है जन -मन का
आयी है अभी बहार नहीं,ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं

ये धुंध कुहासा छंटने दो
रातों का राज्य सिमटने दो,प्रकृति का रूप निखरने दो
फागुन का रंग बिखरने दो

प्रकृति दुल्हन का रूप धार
जब स्नेह – सुधा बरसायेगी
शस्य – श्यामला धरती माता

घर -घर खुशहाली लायेगी
तब चैत्र शुक्ल की प्रथम तिथि,नव वर्ष मनाया जायेगा
आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर

ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं,है अपनी ये तो रीत नहीं
है अपना ये त्यौहार नहीं

©Um€Sh Kum@r
  #CrescentMoon #Hindi #hindisahitya
#poyem
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Um€Sh Kum@r

जा रहे साल को अलविदा केह दिया।
जो प्यार दिया,अपना लिया
दुख दिया,सेह लिया
जिसने साथ छोड़ा
जिसने भरोसा तोड़ा
उन सब ने कुछ न कुछ सीखा दिया।।
अपना रूठा भी, साथ टुटा भी
गम आया भी, साथ छूटा भी
कमर कस मैंने खुद को संभाल लिया।
जा रहे साल को अलबिदा केह दिया।

©Um€Sh Kum@r #lightning
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Um€Sh Kum@r

Year end 2023 आसान नहीं है तुम्हे भूलाना
2023
मुझे दर्द देने मे,
अपनों के साथ साथ तेरा भी योगदान है

©Um€Sh Kum@r #YearEnd
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