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तेरी शादी मे कैसे आऊं समझ नही आता किताब उठाऊं या न

तेरी शादी मे कैसे आऊं समझ नही आता
किताब उठाऊं या नाचु गाऊं समझ नही आता ।

करीब है तु दिल के इसीलिए उलझन है,
पढ़ाई करूं या बारात मे जाऊं समझ नही आता ।

यूं तो चार कदम की दूरी है तेरे और मेरे घर की,
पर पढ़ाई की खाई कैसे मिटाऊं समझ नही आता ।

अरमान तो बहुत थे तुम्हारी शादी के पर क्या करे,
बलवान समय को कैसे हराऊं समझ नही आता ।

रोज नही आ सकता इतना तो पता है,
एक दिन आकर ही काम चलाऊं समझ नही आता ।

मै साथ रहुं न रहुं तु खुश रहना हमेशा,
तेरी खुशी से मै खुश हो जाऊं समझ यही आता । Friendship Shayri
तेरी शादी मे कैसे आऊं समझ नही आता
किताब उठाऊं या नाचु गाऊं समझ नही आता ।

करीब है तु दिल के इसीलिए उलझन है,
पढ़ाई करूं या बारात मे जाऊं समझ नही आता ।

यूं तो चार कदम की दूरी है तेरे और मेरे घर की,
पर पढ़ाई की खाई कैसे मिटाऊं समझ नही आता ।

अरमान तो बहुत थे तुम्हारी शादी के पर क्या करे,
बलवान समय को कैसे हराऊं समझ नही आता ।

रोज नही आ सकता इतना तो पता है,
एक दिन आकर ही काम चलाऊं समझ नही आता ।

मै साथ रहुं न रहुं तु खुश रहना हमेशा,
तेरी खुशी से मै खुश हो जाऊं समझ यही आता । Friendship Shayri