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अश्क राह भटक गई दिल से ना सहा गया पलके मैंने जो ढ

 अश्क राह भटक गई दिल से ना सहा गया
पलके मैंने जो ढकी आंखों में तू छा गया

कभी तेरे गम में सोया नहीं मैं रात भर
अभी जो तू आई है तो गहरी नींद सो गया

आंखें फिर भी खुली है देख लेना मन हो तो
मैं वहीं खड़ा था जो रास्ता तेरे घर गया

याद आऊंगा मैं गुजरोगी जब उस मोड़ से
देखो मत कहना-अभी खड़ा था, गुजर गया

©KUMAR MANI(#KM_Poetry)
  gujar gya

gujar gya #Shayari #KM_Poetry

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