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ना जानें कौनसे रिश्तों में फंसता है आदमी आदमी नही

ना जानें कौनसे रिश्तों में फंसता है आदमी
आदमी नही आदमी , जीते जी नहीं किसी का
आदमी , जो रुक्सत हो जाये तो पूछे हर 
आदमी जीते जी नही यहां कोई किसी का
आदमी , हजार नफरतों का करोबार करता
हर आदमी , नही रख पाया एक प्रेम की 
कुटिया वो आदमी , जल जाता है चार 
लकड़ियों ना जानें किस फेर मे पड़ा है 
आदमी नही है यहाँ किसी का कोई आदमी 
पता नही कौन यहां कौन कैसा है आदमी #neerajwrites असलियत में कौन है आदमी ?
ना जानें कौनसे रिश्तों में फंसता है आदमी
आदमी नही आदमी , जीते जी नहीं किसी का
आदमी , जो रुक्सत हो जाये तो पूछे हर 
आदमी जीते जी नही यहां कोई किसी का
आदमी , हजार नफरतों का करोबार करता
हर आदमी , नही रख पाया एक प्रेम की 
कुटिया वो आदमी , जल जाता है चार 
लकड़ियों ना जानें किस फेर मे पड़ा है 
आदमी नही है यहाँ किसी का कोई आदमी 
पता नही कौन यहां कौन कैसा है आदमी #neerajwrites असलियत में कौन है आदमी ?