Nojoto: Largest Storytelling Platform

भारत का सपूत यही है, मिटाना हर भ्रान्ति को ही है,

भारत का सपूत यही है, मिटाना हर भ्रान्ति को ही है,
अंग्रेज़ भी करते प्रशंसा, देखते कैसे हुआ ये अचंभा,
गुरु ज्ञान से राह दिखाई, जिसमेें निहित थी प्रभुताई,
भारत के युगपुरुष बनके, विदेशों में भी खूब चमके,
नरेन्द्रनाथ बना विवेकानंद, जैसे फूल में हो मकरंद,
अपनी आभा सर्वत्र पहुंचाई, जैसे सूर्य की तरुणाई,
कोई दैवीय कारण था, जैसे इनका अवतरण था,
ऐसा व्यक्तित्व किसी ने ना पाया, स्वप्न जैसे सच हो आया,
आओ हम भी प्रण लें, भारत को मन में धर ले,
लहरा दे झंडा फिर से देश का, नारा बने जो विदेश का,
ज्ञान - योग का सार देकर, सिरमौर बनें ऐसा प्यार देकर।

©Kusumakar Muralidhar Pant #nojoto #nojotokavita #hindikavita  poetry in hindi hindi poetry poetry lovers
#VivekanandaJayanti
भारत का सपूत यही है, मिटाना हर भ्रान्ति को ही है,
अंग्रेज़ भी करते प्रशंसा, देखते कैसे हुआ ये अचंभा,
गुरु ज्ञान से राह दिखाई, जिसमेें निहित थी प्रभुताई,
भारत के युगपुरुष बनके, विदेशों में भी खूब चमके,
नरेन्द्रनाथ बना विवेकानंद, जैसे फूल में हो मकरंद,
अपनी आभा सर्वत्र पहुंचाई, जैसे सूर्य की तरुणाई,
कोई दैवीय कारण था, जैसे इनका अवतरण था,
ऐसा व्यक्तित्व किसी ने ना पाया, स्वप्न जैसे सच हो आया,
आओ हम भी प्रण लें, भारत को मन में धर ले,
लहरा दे झंडा फिर से देश का, नारा बने जो विदेश का,
ज्ञान - योग का सार देकर, सिरमौर बनें ऐसा प्यार देकर।

©Kusumakar Muralidhar Pant #nojoto #nojotokavita #hindikavita  poetry in hindi hindi poetry poetry lovers
#VivekanandaJayanti