" चल रुख उन हवाओं का किया जाये ,
तुझ तक जो पहुंचे कुछ बात उन हवाओं से किया जाये ,
वेशक एक चांद मेरे आंखों के दिदार के काबिल हैं ,
उसके तसव्वुर की रवानगी महसूस की जाये जो कभी वो मेरे पहलू में हो . "
--- रबिन्द्र राम
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