Nojoto: Largest Storytelling Platform

लफ्जों को दिल में दफना तो दिया मैं मगर परेशां हूँ

लफ्जों को दिल में दफना तो दिया
 मैं मगर परेशां हूँ फिर भी, 
लिफाफों से भी मोहब्बत की
 वही खुशबुएँ उङा करती हैं। 

हँस कर कहा करते है लोग
 महफिल में अपनी दास्तान, 
सिले होंठ, झुकीं नजरें भी 
कुछ कहानी बयां करती हैं। 

इन हवाओं को परवाह नहीं है 
किसी के हिस्से की रौशनी से 
अंधेरे की खिलाफत के वास्ते 
शमा आन में जला करती हैं। 
                           
                           ✍मन्मंथ

©Manmanth Das #शायरी #लिफाफे #मन्मंथ
लफ्जों को दिल में दफना तो दिया
 मैं मगर परेशां हूँ फिर भी, 
लिफाफों से भी मोहब्बत की
 वही खुशबुएँ उङा करती हैं। 

हँस कर कहा करते है लोग
 महफिल में अपनी दास्तान, 
सिले होंठ, झुकीं नजरें भी 
कुछ कहानी बयां करती हैं। 

इन हवाओं को परवाह नहीं है 
किसी के हिस्से की रौशनी से 
अंधेरे की खिलाफत के वास्ते 
शमा आन में जला करती हैं। 
                           
                           ✍मन्मंथ

©Manmanth Das #शायरी #लिफाफे #मन्मंथ