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रेत की तरह है ये जिंदगी जितना भी समेटने की कोशिश

रेत की तरह है
ये जिंदगी
जितना भी समेटने की 
कोशिश करता हूँ 
हथेली से 
फिसल ही जाती है
ये जिंदगी 
कोई है कहीं
तो मुझे बताये जरा
कैसे सम्भलती है ये जिंदगी
कैसे सम्भलती
है
ये जिंदगी

©Manish Thakur 
  Manish Thakur @. in

Manish Thakur @. in #शायरी

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