ऑनलाइन ज़िंदगी बिताने लगे सभी, ऑफलाइन से दूरी हो गई। अजनबियों को पास ले आई, अपनों से औपचारिकता रह गई। इमोजी भेजकर असलियत छुपाना, अब सबकी मजबूरी हो गई। कहीं काम आसान बनाया तो, ना जाने कितनों को निकम्मा कर गई। -"Ek Soch" #ऑनलाइन_ज़िन्दगी_team_alfaz #newchallenge There is new challenge of poem/2 line/4 line in whatsapp group (link in bio) Today's Topic is ऑनलाइन ज़िन्दगी