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मस्ती की पाठशाला से थे जिनमें जिंदगी के किताबों का

मस्ती की पाठशाला से थे
जिनमें जिंदगी के किताबों का
बोझ हमें उठाना न था
रिश्तों में एक दूसरे के
शिकवे शिकायतों का 
कोई नजराना न था
जहां मंडली जमी
वहीं हँसी के ठहाके गूंजे
दिखावे के मुखोटों का
वो बोझिल जमाना न था
जी करता है आज भी 
तोड़ कर ये बेड़ियां
रिश्तों के जिम्मेदारी की
लौट जायें उसी पल में
जहां दोस्तों का साथ हो
जो खुशियों की सौगात हो।

©alka mishra #yaaron 
#NojotoWritingPrompt
मस्ती की पाठशाला से थे
जिनमें जिंदगी के किताबों का
बोझ हमें उठाना न था
रिश्तों में एक दूसरे के
शिकवे शिकायतों का 
कोई नजराना न था
जहां मंडली जमी
वहीं हँसी के ठहाके गूंजे
दिखावे के मुखोटों का
वो बोझिल जमाना न था
जी करता है आज भी 
तोड़ कर ये बेड़ियां
रिश्तों के जिम्मेदारी की
लौट जायें उसी पल में
जहां दोस्तों का साथ हो
जो खुशियों की सौगात हो।

©alka mishra #yaaron 
#NojotoWritingPrompt
alkamishra4473

alka mishra

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