कहाँ तेरे वजूद की तलाश करूँ | तेरे वजूद को अपने दिल में ही तो बसा कर रखा था| वक्त की धारा ही ऐसी बहीं कि तुम कहाँ और मैं कहाँ | बहुत दिनों से फिर तुम्हारी ही तलाश में हूँ. हर वो गलियाँ, सड़क जहाँ से तेरे तक आने का रास्ता हैं,, हर दिन उसी की तलाश में घर से फिर बेघर हूँ | क्या बीती हैं मेरे दिल पर, जो अभी भी आँखों में मेरी ;; सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी ही तस्वीर को देख कर ये अंदर ही अंदर रोता ही रहता हैं | पर! बेबसी का आलम ये कि - ये आँसूओं को भी नही बहा सकता | एक तेरी ही तलाश में ! ! ! ! "मै" कहीं अपने ही वजूद से बेखबर होकर , बेघर हूँ आजकल... तेरा नाम, तेरा ख्याल सब कुछ धुँधला-सा होता जा रहा हैं.. कहीं तू खो न जाए मुझको छोड़कर इस दुनिया में | कहाँ तलाश करूँ.... | गीता शर्मा प्रणय #वजूद #तलाश #बेघर #leftalone