White शीर्षक - यह अपना धर्म हम, कभी नहीं भूलें ---------------------------------------------------------------- वसुधैव कुटुम्बकम की, यह परम्परा। यह अपना धर्म हम, कभी नहीं भूलें।। जीने दें सबको जैसे, हम जीते हैं। इस भावना को हम, कभी नहीं भूलें।। वसुधैव कुटुम्बकम की----------------------।। सपनें हो साकार, सबके यहाँ पर। पैदा हुए हैं, हम सभी यहाँ पर।। आबाद खुशियाँ, यहाँ सबकी रहे। सन्देश मानवता का, हम नहीं भूलें।। वसुधैव कुटुम्बकम की--------------------।। लक्ष्य हम सभी का, कुछ ऐसा हो। नफरत, अहम, जिसमें कुछ नहीं हो।। चलना पड़े चाहे, काँटों पर भी। सच्चाई और ईमान, हम नहीं भूलें।। वसुधैव कुटुम्बकम की---------------------।। ऋषियों- वीरों की जननी, यह जमीं। फूले और फले है, यहाँ मजहब सभी।। सर्वभूतेषु आत्मा: की यह तालीम। जिंदगी में हम, कभी नहीं भूलें।। वसुधैव कुटुम्बकम की--------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #साहित्यकार