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बनारसी प्रेम गुलाब सूखा हो चाहे ताज़ा, तुम्हें

बनारसी प्रेम 

गुलाब सूखा हो चाहे ताज़ा, 

तुम्हें हरवक्त बनारस याद दिलायेगा ।

क्षणभर के लिए हीं सही,

पर आँखों को ज़रूर नम कर जायेगा ।।

जब-जब बन्द करोगे तुम अपनी आँखें,

ज़ेहन में बस इक हीं खयाल मंडरायेगा ।

काश की लौट आता फ़िर से बनारस का पल,

और दिल फ़िर से बनारसिया बन यूँ हीं पगलायेगा ।।

राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी बनारसी प्रेम
बनारसी प्रेम 

गुलाब सूखा हो चाहे ताज़ा, 

तुम्हें हरवक्त बनारस याद दिलायेगा ।

क्षणभर के लिए हीं सही,

पर आँखों को ज़रूर नम कर जायेगा ।।

जब-जब बन्द करोगे तुम अपनी आँखें,

ज़ेहन में बस इक हीं खयाल मंडरायेगा ।

काश की लौट आता फ़िर से बनारस का पल,

और दिल फ़िर से बनारसिया बन यूँ हीं पगलायेगा ।।

राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी बनारसी प्रेम
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Raone

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बनारसी प्रेम #कविता