जगत में कौन बचावनहार सबकी अपनी काया माया एकहि गत संसार.. जगत में कौन बचावनहार.. कौन के बल, मद मान बढ़ावे कौन है पालनहार कौन भरोसे जीत रहा जग कौन भरोसे हार.. अंतरनयन खोल नहि देखे भीतर की सरकार.. जब लौ तेरी काया माया तब तक साथ हजार.. करमगति के संग न कोई क्या घर क्या परिवार.. मरघट तक की साथी दुनिया देह दई अंगार.. जगत में कौन बचावन हार.. सपन लोक में आन पड़ो है खेल रचो करतार.. राजा हो या रंक सभी के जीवन के दिन चार.. हरि के भजन बिना नहि होवे भवसागर से पार.. जगत में कौन बचावनहार.. ©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #worldpostday