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"याद मुझे आता है सावन" बरसों बीते, बालपन से हुए

"याद मुझे आता है सावन" 

बरसों बीते,
बालपन से हुए जवां फिर बूढ़े,,
याद मुझे आता है,
पचपन में भी बचपन का वो सावन ,,
सावन के आते ही,
डल जाते थे झूले मनभावन,,
दिन भर झूले,
ऊंची ऊंची पेंग बढ़ाएं,,
लगे होड़ इक दूजे से,
अंबर को छू कर आने की,,
मन भर जाता,
जब झूले से तब घर को आते,,
घेवर गुझिया पपड़ी,
पूड़ी कचौड़ी ख़ूब मजे से खाते,,
बारिश के आते ही,
कागज़ की नाव बनाते,,
बारिश ना होने पर, 
उसे नालियों में चलाते ,,
कज़री गाते,
मौज मनाते मामा  के घर जाते,, 
बरसों बीते,
याद मुझे आता है ,,
पचपन में भी बचपन का वो सावन .....!! 

*निशा सिंह*

©Nisha Singh
  #कविता #याद आता है मुझे सावन #
nishasingh4551

Nisha Singh

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कविता याद आता है मुझे सावन #

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