ऐ पंडिताइन सुनो ना, ये जुल्फें हवाओं में उड़ाती क्यों हो ? अपनी खुश्बू इन फिजाओं में फैलाती क्यों हो ? निगाहें झुका कर बिखरे बालों को कान के पीछे समेट लेना बताओ ये करके हमें अपना दीवाना बनाती क्यों हो ? -कृष्णामरेश ©Amresh Krishna #panditain