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उस गाँव में जो हवेली थी वह हमारे गाँव के जमीदार ठा

उस गाँव में जो हवेली थी वह हमारे गाँव के जमीदार ठाकुर राय बहादुर सिंह जी की थी। वो बहुत ही नेक दिल सज्जन व्यक्ति थे। हमेशा गाँव वालों की भलाई करते थे। उनका बड़ा बेटा हवेली फॉरेन इन्वेस्टर्स को बेचना चाहता था। ठाकुर साहब इस बात के लिए कतई राजी नहीं थे। उनका कहना था यह हवेली हमारे पुरखों की निशानी है। हमारी आन
बान शान है। इसी बात से हवेली में अक्सर सभी बेटे बहू में झगड़े होते
थे। नाराज बेटे बहू ने 1 दिन हवेली और जायदाद के लालच में अपने
माँ बाप को मौत के घाट उतार दिया। पिता की मृत्यु के कुछ दिनों
पश्चात ही उन्होंने हवेली फॉरेन इन्वेस्टर्स को बेच दी। ठाकुर साहब
की भटकती आत्मा ने फैसला कर लिया कि वो हवेली में अब किसी
को जिन्दा नहीं रहने देंगे! उन्होंने एक-एक करके सभी की जान ले ली। दोनों  बेटो को एक भी बच्चा नहीं था। देखते ही देखते पूरा परिवार
 समाप्त हो गया, हवेली वीरान हो गई! हमारे गाँव की जो शान हुआ
 करती थी वह खूनी हवेली बनकर रह गई आज भी लोग वहां पर भी
 जाने से डरते हैं। कहते हैं ठाकुर साहब की आत्मा आज भी वहाँ
भटक रही है! जो भी उस हवेली को खरीदने की इच्छा जताता है
वह अपनी जान से हाथ धो बैठता है! 😡☠️💀👿👻

©SumitGaurav2005
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