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अभिलाषाओं को उदासी ले बैठी है प्राणों मे स्पंदन थम

अभिलाषाओं को उदासी ले बैठी है
प्राणों मे स्पंदन थमा सा
शून्य गगन ताक रहा हु
तंम आकर लिए आ रहा है..

में बाँसुरी रख कर बैठा हु...
 तु जीवन का संचार कर दे..
तु पायल की आवाज़ कर दे...

        ....रामेश्वर मिश्र विविध स्वर....
अभिलाषाओं को उदासी ले बैठी है
प्राणों मे स्पंदन थमा सा
शून्य गगन ताक रहा हु
तंम आकर लिए आ रहा है..

में बाँसुरी रख कर बैठा हु...
 तु जीवन का संचार कर दे..
तु पायल की आवाज़ कर दे...

        ....रामेश्वर मिश्र विविध स्वर....

विविध स्वर....