Nojoto: Largest Storytelling Platform
rameshwarmishra2596
  • 31Stories
  • 48Followers
  • 146Love
    764Views

रामेश्वर मिश्र

चाँद से मैंने ये खिलवाड़ किया ...मैंने एक सितारे को दिल दिया.......

  • Popular
  • Latest
  • Repost
  • Video
d91e5aa93dd67ce09d3b24d4b1d93204

रामेश्वर मिश्र

1 Bookings

d91e5aa93dd67ce09d3b24d4b1d93204

रामेश्वर मिश्र

#शब्दभेद#चाँद
d91e5aa93dd67ce09d3b24d4b1d93204

रामेश्वर मिश्र

#शब्दभेद#चाय
d91e5aa93dd67ce09d3b24d4b1d93204

रामेश्वर मिश्र

#शब्दभेद..
d91e5aa93dd67ce09d3b24d4b1d93204

रामेश्वर मिश्र

# हुस्न ऐ बला...रामेश्वर  मिश्र

# हुस्न ऐ बला...रामेश्वर मिश्र #शायरी

167 Views

d91e5aa93dd67ce09d3b24d4b1d93204

रामेश्वर मिश्र

तुमने जानी सर्दी गर्मी...
तुमने देखा पतझड सावन....
तुम भीगी भरी बरसातो मे...
हमने जाना सिर्फ एक मौसम..

तुमने हर मौसम को हिस्सों हिस्सों मे जाना है...
हमने हर मौसम को बस एक नाम से पहचाना है...

हम प्रेम के मौसम मे रहते है...
हम प्रेम का मौसम कहते है...

अलग अलग कहते है सब...
अलग अलग सबकी कहानी है.....
किसी का गुलाब हो तुम...
किसी की तुम रातरानी हो...

हमने जाना बस खिलना तेरा...
हमने जानी बस इतनी कहानी...

हम प्रेम का फुल कहते है..
हम प्रेम का खिलना कहते है.. 

हम प्रेम के मौसम मे रहते है...
हम प्रेम का मौसम  कहते है...

....रामेश्वर मिश्र

©Rameshwar Mishra #Bicycle

9 Love

d91e5aa93dd67ce09d3b24d4b1d93204

रामेश्वर मिश्र

हमने दिल लगाए रखा...

हमने दिल लगाए रखा...

76 Views

d91e5aa93dd67ce09d3b24d4b1d93204

रामेश्वर मिश्र

अभिलाषाओं को उदासी ले बैठी है
प्राणों मे स्पंदन थमा सा
शून्य गगन ताक रहा हु
तंम आकर लिए आ रहा है..

में बाँसुरी रख कर बैठा हु...
 तु जीवन का संचार कर दे..
तु पायल की आवाज़ कर दे...

        ....रामेश्वर मिश्र विविध स्वर....

विविध स्वर....

3 Love

d91e5aa93dd67ce09d3b24d4b1d93204

रामेश्वर मिश्र

...चाँद जब विदा लेंने लगा,
तारे सब भरसक रोए,
एक तारा मगर चुप रहा,
कोने मे बैठा उदास रहा....

...गीत ग़ज़ल सब हार गए,
समंदर भी कितना शांत रहा,
हंसो ने रख दिए दाने,
कितना फीका प्रभात रहा...

      ......रामेश्वर मिश्र #विविध स्वर

#विविध स्वर

5 Love

d91e5aa93dd67ce09d3b24d4b1d93204

रामेश्वर मिश्र

हार लो वापस हार लो 
इस मूर्ति से वापस हार लो
दीप बुझा दो इस मंदिर के
ये केसी शक्ति है ये कैसी शक्ति है
जब इतनी डरावनी है राते 
तो क्यों तेरी भक्ति है....
 
हर घर मे बर्तन मंझा करो
और कपड़े सिला करो
अगर ये तुम्हारी जिंदगी है
तो हार लो वापस हार लो
उस इंसान के गले से वापस हार लो....

अगर अब भी डरी सी सहमी हो
तो स्थान लो वापस स्थान लो
शक्ति का स्थान लो.....
दर्द है हर रोज है कई सारा
हर दिन कोई ना कोई हारा 
अगर परम्परा है तो अब नकार दो
जाते जाते इस मंदिर से इस देवी की तलवार लो
स्त्री हो तुम मर्जी नहीं
पहचान दो पहचान दो
खुद को एक पहचान दो...
हार लो वापस हार लो.........रामेश्वर मिश्र #शक्ति
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile