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बे - वजह आप तन्हाइयों में क्या ढूंढते है। चलती फिर

बे - वजह आप तन्हाइयों में क्या ढूंढते है।
चलती फिरती परछाइयों में क्या ढूंढते हो।

जाने वाले का निशां कब का मिट गया होगा।
बाद तुफां आप सर्द पुरवाईयों में क्या ढूंढते हो।

बस उसे देखता हूं और मदहोश हो जाता हूं।
वो पूछती है मेरी अंगड़ाईयों में क्या ढूंढते हो।

स्वस्थ सेहत का राज अब भी हिमालय में ही है।
आप खा म खा मशीनी दवाइयों क्या ढूंढते हो।

सुख चैन नहीं ज़रूरत की चीजे तो पूरी होती है न।
इससे ज्यादा महीने  की कमाइयों में क्या ढूंढते हो।

किस्सा काली रात की चेहरे से तो साफ़ ज़ाहिर है।
टूटी चूड़ियों और ज़ख्मी कलाइयों में क्या ढूढते हो।

वो मेरी मां जैसी नहीं मेरी मां है लक्षण भईया,जय।
आप अपनी जाओ आप भौजाईयों में क्या ढूंढते हो।
मृत्युंजय विश्वकर्मा

©mritunjay Vishwakarma "jaunpuri" महीने की कमाइयों में क्या ढूंढते हो।
#gazal #bestgazals #bestnojotoquotes #bestshayari #mjaivishwa
बे - वजह आप तन्हाइयों में क्या ढूंढते है।
चलती फिरती परछाइयों में क्या ढूंढते हो।

जाने वाले का निशां कब का मिट गया होगा।
बाद तुफां आप सर्द पुरवाईयों में क्या ढूंढते हो।

बस उसे देखता हूं और मदहोश हो जाता हूं।
वो पूछती है मेरी अंगड़ाईयों में क्या ढूंढते हो।

स्वस्थ सेहत का राज अब भी हिमालय में ही है।
आप खा म खा मशीनी दवाइयों क्या ढूंढते हो।

सुख चैन नहीं ज़रूरत की चीजे तो पूरी होती है न।
इससे ज्यादा महीने  की कमाइयों में क्या ढूंढते हो।

किस्सा काली रात की चेहरे से तो साफ़ ज़ाहिर है।
टूटी चूड़ियों और ज़ख्मी कलाइयों में क्या ढूढते हो।

वो मेरी मां जैसी नहीं मेरी मां है लक्षण भईया,जय।
आप अपनी जाओ आप भौजाईयों में क्या ढूंढते हो।
मृत्युंजय विश्वकर्मा

©mritunjay Vishwakarma "jaunpuri" महीने की कमाइयों में क्या ढूंढते हो।
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