ट्रेन की खिड़कियों से क्या देखा है तुमने कभी झाँक कर, चलती ट्रेन की खिड़कियों से, देखोगे तो पाओगे पीछे छूटता घर-बार, छूटते सारे रिश्ते, छूटती हुई दुनिया