मैं यहां हूँ, वहाँ हूँ, जहाँ हूँ सोचता हूँ मैं अब कहाँ हूँ देखे कोई जो इस पत्थर को खो गया हूँ, अंदर हूँ, मिट्टी से सना हूँ वो आयेगी, बारिश बनकर धो देगी मुझे, पहचान ही लेगी उसी के इंतजार में, मैं ज़माने से ख़फ़ा हूँ तरस रहा हूँ कि तराशा जाऊँ पूजा जाऊँ और देव बन जाऊँ ये ख्वाब पाले अकेले में सो रहा हूँ किनारे पर हूँ सड़क के, वहीं पड़ा हूँ मैं यहां हूँ, वहाँ हूँ, जहाँ हूँ सोचता हूँ मैं अब कहाँ हूँ ।। ©देवेन्द्र आमेरिया मैं कहाँ हूँ #HeartBook