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देवेन्द्र आमेरिया

नील गगन में उड़ता पंछी, शांत सरल सागर सा हूँ! बिन पंख हवा मे उड़ने वाला मैं आवारा बादल सा हूँ मार्मिक ह्र्दय सम्राट हूँ और माँ के आँचल सा हूँ! दर्द सहारे कलम उठाकर लिखने में पागल सा हूँ!! 7014781198

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देवेन्द्र आमेरिया

जुल्म सातवां आसमान छू रहा है, और जमीं उसकी धंस रही है!
आजकल हाकिम मेरे पीछे है, लगता है कलम सच लिख रही है!

©देवेन्द्र आमेरिया #PenPaper
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देवेन्द्र आमेरिया

आज आपका अंतिम दिन हमारे साथ बीता, और आपके हर पल के सहारे हमने लाखों मौसम जिए।  जब आप आए थे , तब मैं यहाँ नहीं था किंतु जब मैं घर से वापस आया तो आपके नूर की रोशनी मुझ पर भी पड़ी और मैं सम्भवतः सौभाग्यशाली रहा की कि आपने मुझ में एक मित्र की उपस्थिति पाई। आपके आने से पहले प्रमोद नाम के एक अध्यापक आपकी जगह थे , जैसा कि कोई जाता है तो उसकी जगह आने वाले को अच्छे भाव से नहीं देखा जाता है । किंतु आपके व्यवहार , हंसमुख चेहरा और सौम्य स्वभाव ने हमारा मन मोह लिया । कहते हैं वक़्त के पंख बड़े तेज होते हैं,  आज उन उड़ चुके लम्हों को स्वयं महसूस कर पा रहा हूं। 
यूं तो 1 मिनट भी बहुत लंबा होता है लेकिन आपके साथ बिताए हुए कई लम्हे भी एक पल से कम रहे। धीरे-धीरे टिफिन खोलने से लेकर चाय की चुस्कियां लेते हुए बातें करना , अपने पिज़्ज़ा के लिए पूरा दावा करना जैसे हर एक लम्हे में सौंदर्य रहा किंतु फिर आपके मायूस चेहरे को देखकर आप में जीवंत एक सुंदर स्त्री हमें भाव विभोर कर देती है। मैं मानता हूं कि जीवन एक यात्रा है, और इस यात्रा के दौरान बहुत सारे लोग, बहुत सारे अनुभव हमें मिलते रहते हैं किंतु कुछ ऐसे मिलते हैं जो हमारे पूरे जीवन पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं। आपके होने से हम एक पूरी गाड़ी के चार पहियों की तरह थे, किंतु अब शायद तीन पहियों वाला मोपेड बन जाएंगे। चलता तो मोपेड भी है किंतु वह लंबी दूरी तय नहीं कर सकता है। इसलिए आप हमेशा अपने महत्व को मेरी इस बात से याद रखना कि आपके चले जाने के बाद वास्तव में असर पड़ेगा निश्चित रूप से पड़ेगा और वह मंजर कभी नहीं रहेगा जो अब तक रहता आया है। वह ठेले वाली चाय याद रहेगी, कभी आपकी भी यादों में तूफान जोरों पर हो तो आ जाना वहीं, चाय वाले ठेले पर, हम चमकती हुई आंखों में आंसुओं के मोती लेकर बिना कुछ बोले लंबी बातें करेंगे।

©देवेन्द्र आमेरिया #Soul
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देवेन्द्र आमेरिया

उन दिनों की शमा दिल में जलाना तो जरा 
मेरे बिन कैसा लगता है,  बताना तो जरा

©देवेन्द्र आमेरिया
  न्यू day

#Light

न्यू day #Light #शायरी

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देवेन्द्र आमेरिया

उन दिनों की शमा दिल में जलाना तो जरा 
मेरे बिन कैसा लगता है,  बताना तो जरा

©देवेन्द्र आमेरिया न्यू day

#Light

न्यू day #Light #शायरी

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देवेन्द्र आमेरिया

आज महब्बत का पहला रंग चढ़ रहा है ।
मेहंदी संग हाथ उसका खिल रहा है। ।
तू ऐसा कर मुझको दरिया में डाल दे। 
मुझसे खींच अपना दिल और 
आसमान में उछाल दे। ।
ये अब वो ज़माना नहीं की सांसो में 
समाया जाये। 
मेहंदी भी उसी की हो जिससे दिल 
लगाया जाये। ।
हूँ मैं बुरा तो बस इतना इंतकाम लेता हूं 
तुझे मिले वो, जो मैं ना दे पाया 
खुशियों के सावन में तू झूमे सदा
ये दुआ सलाम देता हूँ। ।

©देवेन्द्र आमेरिया
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देवेन्द्र आमेरिया

मासूम सी , नाउम्मीद सी , जगती है वो ,सुबह के शाखों मे ।
जिसको देखकर जीना चाहती है , खुद को पाती नहीं कहीं,  उसी की बातों मे 

सूरज चक्कर लगाकर ढलने को आ जाता है , बच्चे  सा मन उसका मरने को आ जाता है । 
आतुर सी उम्मीद उसकी ,घड़ी को तकती है 
मन कहता है तू आ जाना मेरे लिए , प्यास इस दिल की तुझी से मिटती है 

निशा की चादर ओढ़े 'उम्मीद ' झांकती है उसकी बातों में 
रोती नहीं है वो, मरती है अंदर से,  सो जाती है उसकी यादें समेटे,  
पथराई सी आँखों में। ।

©देवेन्द्र आमेरिया #standAlone
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देवेन्द्र आमेरिया

दिल कह रहा है देव तू अब सो जा।।
इस दर्द से निकल और अंधेरे मे खो जा। ।
कौन है जो अब उस ज़माने मे जीयेगा ।
वो अब आगे बढ़ गया है,  सुन जरा 
हकीकत का हाथ पकड़ और चीख के रो जा। ।

©देवेन्द्र आमेरिया दर्द 

#Light

दर्द #Light

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देवेन्द्र आमेरिया

वो रोज फासलों की धमकी देता है ।
मगर इल्जाम कभी खुद पर नहीं लेता है। ।

वहीँ दूर कहीं तन्हाई मे हम सहमे से बैठे हैं। 
वो एक शब्द कहता है और मेरे अश्क छलका देता है। ।

©देवेन्द्र आमेरिया अश्क 

#OneSeason
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देवेन्द्र आमेरिया

मैं यहां हूँ,  वहाँ हूँ,  जहाँ हूँ 
सोचता हूँ मैं अब कहाँ हूँ 
देखे कोई जो इस पत्थर को 
खो गया हूँ, अंदर हूँ,  मिट्टी से सना हूँ 
वो आयेगी, बारिश बनकर 
धो देगी मुझे, पहचान ही लेगी 
उसी के इंतजार में, मैं ज़माने से ख़फ़ा हूँ 
तरस रहा हूँ कि तराशा जाऊँ 
पूजा जाऊँ और देव बन जाऊँ 
ये ख्वाब पाले अकेले में सो रहा हूँ 
किनारे पर हूँ सड़क के,  वहीं पड़ा हूँ 
मैं यहां हूँ,  वहाँ हूँ,  जहाँ हूँ 
सोचता हूँ मैं अब कहाँ हूँ ।।

©देवेन्द्र आमेरिया मैं कहाँ हूँ 
#HeartBook

मैं कहाँ हूँ #HeartBook #शायरी

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देवेन्द्र आमेरिया

उस पेड़ को मत काटो जिस ने एक 
पंछी उड़ा दिया है। 
पंछी फिरसे आ जाएगा उड़ कर 
कुल्हाड़ी के ज़ख्म पेड़ पर सदा रह जाएंगे।

©देवेन्द्र आमेरिया #Forest
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