हाथ जब दबा हो पत्थर में, तो दर्द चुप चाप सहते हैं। ये जो दौर है अपना, इसी को वक़्त कहते हैं। :- सुजीत कुमार मिश्रा प्रयागराज। #वक़्त #sujitmishra