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(((((( आसरा ढूंढ़ रहा हूं मैं )))))) आसरा ढूंढ़ र

(((((( आसरा ढूंढ़ रहा हूं मैं ))))))
 आसरा ढूंढ़ रहा हूं मैं,
   मां  तुम्हारी  बिछड़े  हुए आंचल  में।
   तुम्हारी आत्मा ढूंढ रहा हूं मैं,
   उफनती   हुई   सागर   में।।
   देखता हूं मैं तुम्हें हर रात ख्वाबों में,
    विलुप्त  हो  जाऊंगा   मैं   भी,
    कभी    काले     बादलों    में।
    मां    तुम्हारे    इंतज़ार    में  हूं,
   आज भी मैं अकेला  जमीं पर।
   क्या रो - रो  कर  मर  जाउंगा,
   मां    यूं    हीं   मैं  यहीं    पर।।
   आशियाना   लूट  गया है  मेरा,
   प्यार  भरे   तुम्हारे   छांव   का।
   रो - रो कर धूल खोज रहा हूं मैं,
   मां तुम्हारे बिछड़े  हुए पांवों का।
   तुम्हारे  चरणों    के   धूल   को,
   अपने सर पर लगाना चाहता हूं।
   मैं तुम्हारे कोख में,
   फिर  से  घर   बसाना   चाहता   हूं।।
   मां तुम्हारे यादों में,
   सारी   रात     गुजारना    चाहता    हूं।
   ढलते   उम्र   में  अकेला   हो  गया   हूं,
   तुम्हारे उंगलियों  का सहारा  चाहता हूं।
   गुजरते हुए वक्त से,
   तुमसे   मिलने  का  बहाना   चाहता   हूं।
   तुम तक पहुंचने का,सहारा ढ़ूंढ रहा हूं मैं,
   आसरा ढ़ूंढ रहा हूं मैं,
   मां  तुम्हारी बिछड़े हुए आंचल में।।
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   प्रमोद मालाकार कि पेशकश
      09.06.2018

©pramod malakar
  #आसरा ढूंढ रहा हूं मैं।

आसरा ढूंढ रहा हूं मैं।

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